सच की सच्चाई
सच का कोई आवरण नहीं होता.
सच का कोई प्रशंसक नहीं होता.
क्योंकि सच लुभावना नहीं होता.
क्योंकि सच मीठा नहीं होता.
सच प्रारंभ है, सच ही अनंत...
सच का कोई प्रशंसक नहीं होता.
क्योंकि सच लुभावना नहीं होता.
क्योंकि सच मीठा नहीं होता.
सच प्रारंभ है, सच ही अनंत...