...

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विदाई
स्वप्नदर्शी नेत्रों की ,
नमकीन विदाई ,
याद तो बहुत आओगे आप ,
भले मिल रही विदाई ।

जुदाई तक मोह न था, मेलजोल था ,
अब फिर मिलने का टोह रहेगा ।
आप कितनी अलग थी ,
हममें हराने की सनक थी ,
जीतने की जो खुशी थी ,
वो बस नुकाके (चोरी छिपे) चटकारो से ही मिली थी ।

सारी बाते याद आयेंगी ,
दोहराने को तर्शाऐगी ,
क्या पता मौका न हो ?
समय का तोहफा न हो ?

यादें नई बनाएंगे ।
ये निश्चय आज करके जायेंगे ।
लोग अब मिलेंगे कई ,
याद तो हम भी आयेंगे कभी ।

© Vatika
#nameit