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“अजन्मी बच्ची का एक सवाल”
एक थी बच्ची तीन माह की,
अपनी माँ के उदर में पलीl
सपने सुन्दर सजा है रखीं,
जिद दुनिया में आने की ll
माँ ने क्यों ठान है रखीं,
?
उस प्यारी की जान है लेनी,
क्यों उसकी चहकती दुनिया को ?
माँ ने ही उजाड़ है फेंकी ll
उस बच्ची की एक है चाह ,
अपनी जीवन जीने की।
क्यों उनकी ही माँ ,
उसके जीवन में अंधकार भरी?
माँ मैं पूछू एक सवाल ही,
मुझको होता क्या कोई दर्द नहीं?
मैनें कौन सी गलती की ,
जिससे इस दुनिया में मै आयी नहीं।।
सवाल का जवाब न दी जाती हैं,
दर्द का एहसास न की जाती हैं,
बिन गलती के उस प्यारी को ,
मौत ही दी जाती हैं।।
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