...

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मेरी अर्जी
मुन्तजिर है दीद हमारी,
उनकी एक झलक पा जाने को,
पलक बिछाए हम बैठे हैं,
उनके स्वागत करने को।

जब चले पुरवा पवन,
उद्वेलित कर देती यह तन मन,
एक दिन,वो आ जाएंगी पास,
लेकर बस यही एक आस,
चल रही है मेरी सांस।
अब तो,
मिल जाएं जब वो,
तभी तन...