चांद और सागर कहे दिल की बत्तियां
#चाँदसमुद्रसंवाद
ऐ चांद ।
चांदनी,सितलता, रूप तेरे पास
फिर काहे मोहे सतावे तू हर रात
हे सागर ।
काहे मोहे जलावे करके ये बात
सारी दुनीया समेटे तू है
और करे प्रशंशा मेरी दिन रात ।
तोरी रोशनी से ही तो उज्ज्वल होत...
ऐ चांद ।
चांदनी,सितलता, रूप तेरे पास
फिर काहे मोहे सतावे तू हर रात
हे सागर ।
काहे मोहे जलावे करके ये बात
सारी दुनीया समेटे तू है
और करे प्रशंशा मेरी दिन रात ।
तोरी रोशनी से ही तो उज्ज्वल होत...