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चंद्र शेखर आजाद


अंग्रेजो का था काल था बंधक भारत विशाल तब आजाद आजादी हेतु हुंकार भरा करते थे

थे कलयुग में अर्जुन के अवतारी बंदूक धारी वीर भारी देश के शत्रुओं पर काल से बरसते थे

थे गुलामी के काले घन छाए थी अंधियारी चारों दिशाएं तब देश में स्वतन्त्रता के सूर्य से दमकते थे

भारत की आजादी के हित बेघर थे शेखर गुलामी की काली रात्रि में चंद्र से चमकते थे

© अर्पण सेन