...

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" कल्कि गुरु "
अग्नि बोले वायु बोले,
मन में तपते हों जब शोले.
जन जन बोले हर मन बोले,
धरती पर ब्रह्माबल बोले.

तेरे परवत सागर बोलें,
नदियों का कल कल जल बोले.
अब कलीकाल कलियुग डोले,
गंगा में गंगाजल बोले.
॥॥
जगत गुरु एक बहुत बड़े,
कल्कि गुरु आने वाले हैं.
वह महाकाल की काल गति का,
दर्शन करने वाले हैं.

सतयुग त्रेता द्वापर कलियुग,
काल गति के वर्णन हैं.
हर युग की अपनी सीमा थी,
मानव मन इसका दर्पण है.

कण-कण क्षण-क्षण आंदोलित हैं,
हर पल परिवर्तन गूंज ...