...

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नहीं ये न कीजिये...
अपनी आँखों पे काबू कीजिये
कपड़ो के अंदर झाँकना बंद कीजिये

खुदा करे आपको आपकी मोहब्बत मिले
उसके बाद थोड़ा हमको भी मौका दीजिये

गुस्सा मत जाइएगा हम पर बेवजह
बुज़ुर्ग कहते हैं, जो लिया उसे लौटा दीजिये

समाज और बिरादरी में इज़्ज़त चाहिए
तो सड़को पर बंद चुहलबाज़िया कीजिये

दुपट्टा डाल कर सड़क पर कोई लड़की निकले
इश्क़ भी करना हो तो उसको पहले इज़्ज़त दीजिये

खुदा ने अपने एक और फन से नवाज़ा है औरत को
बनानी हो जो दुर्गा भी तो पहले कोठे से मिटटी लीजिये

अदालतें तो जुर्म करने सकने की सिर्फ सज़ा बताएंगी
वो बेशर्मी से माँ का टूट जाना, अर्रे बचा लीजिये

मुनासिब है ये खुद को लगना, "कुछ नहीं होता"
है आंसू और रुस्वाई असल में,
नहीं ये न कीजिये
© सारांश