...

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एक ही शक़्स था मुझे चाहने वाला
एक ही शक़्स था मुझे चाहने वाला
खवाबो को मेरे दिल से लगाने वाला

जब जब ग़मज़दा हुआ किसी मुश्किल से
कोई था हाँ मेरे दिल को बहलाने वाला

थी नहीं जब दौलत अहम् दुनिया मैं
कोई था मुझे एक चाय पर मिल जाने वाला

इश्क़ अब नाम रह गया वक़्ती अहसास का
कभी था कोई पास इश्क़ मे मिट जाने वाला

कोई पूछे अगर सारिम बताना सच ये भी
छोड़ गया कब का मेरा घर बसाने वाला

© Sarim