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बूढों बनडो (Rajasthani geet )
फोड़ा घाल दिया भाग में ,जाण र बूझ
के आयो चौमासों आँख्या में, ज्यों पड़ी ना थानै सूझ
बुढ़ा बनडा रे दियों हथलेवो जोड़
के करी म्हँ थारी खोड
दी है सजा किण बात री

बिछियां पायल देवे ओळमों, बिंदिया मेरी झिझें
हाथा वाळो चुड़लो रोवे , कमर कंणकती बिछे
गजरों सोवे कौन्या बाळ
काड़े है जणु गाळ
दी है सजा किण बात री

बारिश बिन के चौखो लागै, सावणियें रे रो मास
किया उगेली थे ही बताओं, हरी बाग में घास
बोले ना दादर मोर
गूंजे ना कोई शोर
दी है सजा किण बात री

फोड़ा घाल दिया भाग में ,जाण र बूझ
के आयो चौमासों आँख्या में, ज्यों पड़ी ना थानै सूझ
बुढ़ा बनडा रे दियों हथलेवो जोड़
के करी म्हँ थारी खोड
दी है सजा किण बात री