...

18 views

देखते हैं।।।।
देखते हैं
तेरे आंखो से छलकते सागर को
देखते हैं
तेरे चेहरे की धूमिल होती चमक को
देखते हैं
तेरे होठों की ज़र ज़र सी पपड़ी
देखते हैं
तेरे सिले होठों के पीछे के शोर को
देखते हैं
तेरे मुश्कुराहट के पीछे के गम को
देखते हैं
तेरे घिनौने सोच से लिपटे तेरे जज़्बातों को
देखते हैं
तेरी हर तकलीफ़ को
और जब ये सब देख लेते हैं
तब रोक नहीं पाते हैं अपने एहसासों को
और एक तुम हो
जो हमारी तरफ़ एक बार भी नहीं देखते।।।।।।
9th Nov 22, 7:25pm
© Rohini Sharma