मैं हूं मूक दर्शक, अनगिनत कहानियों का
#अकेलास्ट्रीटलाइट
मैं अकेला स्ट्रीट लाइट,
मैं हूं मूक दर्शक,
अनगिनत कहानियों का।
मैं हूं गवाह,
जीवन की मजबूरियों का,
नफ़रत भरी नजदीकियों का,
और प्यार भरी दूरियों का।
मैं अकेला स्ट्रीट लाइट,
मैं हूं मूक दर्शक,
अनगिनत कहानियों का,
हजारों खुशियों का,
और अनगिनत नादानियों का।
मैंने देखा है,
दो कौड़ी की खातिर,
लड़ते-झगड़ते इंसानों को।
ग़रीबी और लालच की भेंट चढ़े,
होते कुछ संगीन गुनाहों को।
जिंदगी की जद्दोजहद में फंसे,
ठिठुरन से बचते, लेते कुछ पनाहों को।
सरपट भागती कारों के रौशनी से,
ख़ुद को बचाते, दुपट्टे में छुपाते,
दो जोड़ी निग़ाहों को।
सालों बाद मिले,
दो बिछड़े दोस्तों के,
एक दूसरे की ओर बढ़ते बाहों को।
मैंने देखा है, लोगों को,
चौराहे पर तलाशते,
भ्रमित हो कर निहारते,
ख़ाली पड़े उन राहों को।
मैंने देखा है,
एक अलगाव, रिश्तों का बदलाव,
टूटता प्यार, बिछड़ता यार और
बिखरती जिन्दगी से निकलती आहों को।
मैंने देखा है,
हजारों लाखों के फटे कपड़े पहने,
पाश्चात्य का कूड़ा-करकट खाते,
अपने ही संस्कृति को मिटाते,
धुंआ उड़ाते कुछ नौजवानों को।
मैंने देखा है,
आने वाले मौत से अनजान,
रफ़्तार के...
मैं अकेला स्ट्रीट लाइट,
मैं हूं मूक दर्शक,
अनगिनत कहानियों का।
मैं हूं गवाह,
जीवन की मजबूरियों का,
नफ़रत भरी नजदीकियों का,
और प्यार भरी दूरियों का।
मैं अकेला स्ट्रीट लाइट,
मैं हूं मूक दर्शक,
अनगिनत कहानियों का,
हजारों खुशियों का,
और अनगिनत नादानियों का।
मैंने देखा है,
दो कौड़ी की खातिर,
लड़ते-झगड़ते इंसानों को।
ग़रीबी और लालच की भेंट चढ़े,
होते कुछ संगीन गुनाहों को।
जिंदगी की जद्दोजहद में फंसे,
ठिठुरन से बचते, लेते कुछ पनाहों को।
सरपट भागती कारों के रौशनी से,
ख़ुद को बचाते, दुपट्टे में छुपाते,
दो जोड़ी निग़ाहों को।
सालों बाद मिले,
दो बिछड़े दोस्तों के,
एक दूसरे की ओर बढ़ते बाहों को।
मैंने देखा है, लोगों को,
चौराहे पर तलाशते,
भ्रमित हो कर निहारते,
ख़ाली पड़े उन राहों को।
मैंने देखा है,
एक अलगाव, रिश्तों का बदलाव,
टूटता प्यार, बिछड़ता यार और
बिखरती जिन्दगी से निकलती आहों को।
मैंने देखा है,
हजारों लाखों के फटे कपड़े पहने,
पाश्चात्य का कूड़ा-करकट खाते,
अपने ही संस्कृति को मिटाते,
धुंआ उड़ाते कुछ नौजवानों को।
मैंने देखा है,
आने वाले मौत से अनजान,
रफ़्तार के...