ग़ज़ल
घर में रहा हूँ मैं घर में नहीं हूँ लेकिन,
तुम्हारा हो गया हूं मैं तुम ही नहीं हो लेकिन.
याद है वो दिसम्बर जब मिले थे हम,
कि परिचित हुए...
तुम्हारा हो गया हूं मैं तुम ही नहीं हो लेकिन.
याद है वो दिसम्बर जब मिले थे हम,
कि परिचित हुए...