...

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मुझे बार बार वो गिराना चाहता है
मुझे बार बार
वो गिराना चाहता है
वो मुझे मेरी हार से
मिलाना चाहता है
मुझे बार बार
वो दिखाना चाहता है
कि मेरी हर कोशिश
को मिटाना चाहता है
Kabir 47
कह दो हर एक अनजान से
या अपने भगवान से
मैं रातों ना सोया हूँ
उस एक जीत के लिए
अपने हर सुकून को
मैं बेइंतहा खोया हूँ
मेरी हिम्मत को मिटाने के
लिए मेरा फितूर
उसे रोकना पड़ेगा
मुझे झुकाने के लिए
उसे मेरा गुरूर
तोड़ना पड़ेगा
© kabir_47