...

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खामोश सा सिर टिकाये दरख्त से मैं सोचता हूँ !!
खामोश सा सिर टिकाये दरख्त से मैं सोचता हूँ
गुम जिंदगी को खुद मे कहीं खोजता हूँ
गुमनाम हू या छुपा हुआ नाकामयाब सा
नीर आंखों की सीने में अपने सोखता हूँ
खामोश सा सिर टिकाये दरख्त से मैं सोचता हूँ !!

एहसास दुनिया को है मैं सुलझा हुआ हूँ
गौर करूँ तो खुद मे बहुत उलझा हुआ हूँ
जज्बात चेहरे पे दिखाने से खुद को रोकता हूँ
खामोश सा सिर टिकाये दरख्त से मैं सोचता हूँ !!


© shiveshpatel