देखो चांदनी अब मुस्कुरा रही है
देखो चांदनी अब मुस्कुरा रही है!
काली चादर ओढ़े निशा पांव पसार रही है
आंधियों के झोंके से जग को डरा रही है
बिखर बिखर गए हैं, झोपड़ी, महल, घर
धूल से निकल कर एक चिड़िया गा रही है
देखो चांदनी अब मुस्कुरा रही है!
तहस-नहस हो गए हैं, बने थे जो वर्षों से
एक झटके...
काली चादर ओढ़े निशा पांव पसार रही है
आंधियों के झोंके से जग को डरा रही है
बिखर बिखर गए हैं, झोपड़ी, महल, घर
धूल से निकल कर एक चिड़िया गा रही है
देखो चांदनी अब मुस्कुरा रही है!
तहस-नहस हो गए हैं, बने थे जो वर्षों से
एक झटके...