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chowkidar
"चौकीदार"
जुलमों की दास्तानें, मीटा आये साहब
शैतान को भी सुना हैं,
मार आये आप,
पाक,साफ और शरीफ खुद ही
सुना है रहबर भी है आप,
हज भी,
हो आये हैं आप,
कतरां-कतरां जिस्म का
ईक कह रहा था दास्तां,
नापाक को भी पाक
कराए हैं आप,
रूँह कपकपाती आती हुई सी
नजरें भी वह नम हो गई,
कब्रों में मुर्दानगीं शायद
हां,फिर से सो गई
सिर्फ,
समझने के लिए
मैं समझ पाता की,
कोई बात की
उसकी कुर्बानी भी
लम्हो की बात हो गई,
कोई गुजरा नहीं
उस राह से,
फिर और कोई
वर्क में जमाने के
अंधेरी रात हो गई,
किसीं ने
भूख से तड़प कर
दम को तोड़ा था,...