...

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है नमन..
बासन्ती चोला ही जिनकी
दुल्हन बनकर आई थी!
इंकलाब के नारे ने वहीं
जन-जन में अलख जगाई थी!

पराधीन देश की तोड़ने बेड़ियां
संकल्प भारी उठाया था !
आज़ादी का चूनर ओढ़ाने
स्वयं को आहुति में जलाया था!

सुखदेव भगत...