...

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मेरे प्रेम की परिभाषा
मेरे प्रेम की परिभाषा है कुछ इस तरह मैं बनना चाहती तेरी खुशियों वजाह ।
न चाहिए मुझे वादियों में आशियां तेरे संग, न चाहिए कोई करोड़ों का उपहार ,
बस चाहिए तेरा प्रेम और साथ। न चाहती हूँ इशारों पर नचाना और न हर दम तुम्हे सताना बस देना चाहती हूँ गमों में तेरा साथ।
चाहती हूँ बाटना अपनी हर खुशी तेरे साथ और देना चाहती हूँ तुम्हें ढेर सारा प्यार ।
न चाहती तू हर वक्त तेरा साथ बस दिन के कुछ पल तेरे संग गुजरना चाहती हूँ ।
रोज़ मर्राह के कामों से जब थक जाऊँ तो चाहती हूँ तुम्हें प्यार से गले लगाना ।
नहीं चाहती तुम पल पल मेरा ख्याल पूछो बस चाहती हूँ एक बार तुम्हारा प्यार से कहना कि कैसी हो।
न चाहिए तारीफों की लम्बी कतार बस चाहती हूँ सुनना तेरी प्यारी सी आवाज़ ।
आराधना


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