मन की गलियाँ..
मन की गलियाँ आज फ़िर से तंग हैं
एक बार फ़िर मेरी मुझसे ही जंग है
सवाल दागे गए अनगिनत
जवाब मुझमें ही बंद हैं..
साबित करना अब किस को
चल तू सही.. नहीं मुझे ग़म है
रोज़ की ये किचकिच हुई बहुत
मेरी साँसें अब बेदम हैं..
चैन ले तू, चैन लेने दे मुझको
सुकूँ वैसे भी कम है
बेकार की बातें दिल से क्या लगाना
गिनती धड़कनों की चंद है..
मन के अंधेरों से निकला है..मन कई बार
मन मेरा मलंग है
ज़रा टेढ़ी संकरी हैं मन की गलियाँ
तंग होकर भी खुशियों के संग हैं..!!
.... bindu
एक बार फ़िर मेरी मुझसे ही जंग है
सवाल दागे गए अनगिनत
जवाब मुझमें ही बंद हैं..
साबित करना अब किस को
चल तू सही.. नहीं मुझे ग़म है
रोज़ की ये किचकिच हुई बहुत
मेरी साँसें अब बेदम हैं..
चैन ले तू, चैन लेने दे मुझको
सुकूँ वैसे भी कम है
बेकार की बातें दिल से क्या लगाना
गिनती धड़कनों की चंद है..
मन के अंधेरों से निकला है..मन कई बार
मन मेरा मलंग है
ज़रा टेढ़ी संकरी हैं मन की गलियाँ
तंग होकर भी खुशियों के संग हैं..!!
.... bindu