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इश्क इंतज़ार है
#इंतज़ार

इश्क इंतज़ार है,
जो बेकरारी चाहतों में है।

रातों में आंखों और नींदों की कशमकश में है,
हसीन महबूबा को छुपकर दीदार करने में है।

दिलबर के राहें शुबहा और शाम ताकने में है,
एक ज़वाब के पीछे सारा उमर भागने में है।

जुदाई के लम्हों में यादों में है,
सात जन्मों साथ निभाने के वादों में है।

एक इंतज़ार तो है ये इश्क,
एक इकरार तो है ये इश्क।

अपने जाने जिगर से लंबी गुफ्तगू में है,
और नाराज जानम की एक मुस्कान की तलाश है।

एक छोटा सा हाँ का बेसब्री से सब्र है,
कोख से कब्र तक एक माँ और बच्चे के बीच है।

तलब और तड़पन में है ये इश्क,
ज़ख्म और जलन में है ये इश्क।

अपने हमराही की पैगाम का इंतजार है,
अपने हमदर्द का प्यार का इजहार का इंतज़ार है।


© Swagat Panda