...

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मनमुटाव की वज़ह।
मनमुटाव की वज़ह तुमसे शुरू हुई
तुमने कभी समझा ही नहीं।

समझने की कोशिश करना था फिर भी
उलझन बन गई तुम हमारी।

कभी-कभार तुम्हारी जिद्द आड़े आती
कभी तुम हार मानना नही चाहती।

कितना समझाया था मैने हर एक बात को
अनदेखा किया सभी को तुमने यूही।

तनाव और चुनौतीपूर्ण जीवन दिन-प्रतिदिन होगई थी मेरी
असंतुलन और असंतोष मे कट रही थी हमारी ज़िन्दगी।

परीणाम स्वरूप जुदाई ही जवाब है इन सबका
पूर्ण ना हुआ सपना हमारा साथ रहने का।



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