...

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तुम अब भी रुठी हो मुझसे
तुम अब भी रूठी हो मुझसे
अब भी नाराज बैठी हो
बात है ये है कि वही बात लिए बैठी हो

अब भी तेरी याद में धड़कता हूँ क्या
तुम अब भी मेरा दिल लिए बैठी हो
किसी रोज फूरसत से गले लगाना
दुनियादारी में खुद को भूल बैठी हो

मैं चलूँ भला किस मंजिल की राह में
अपनी यादों में मुझे कैद कर बैठी हो
पर मुझे रिहाई नहीं चाहिए
तुम जिंदगी बन बैठी हो

जीना का आज इरादा था हमारा
तुम होठों पे जहर लगा कर बैठी हो
जिंदगी की खवाहिश में मौत मिलती है
तुम इतनी अनजान बैठी हो
एक बार गले से लगा ले
फिर सुकून से मर जाते है
भला हमसे नाराज क्यों बैठी हो

फूलों में भी जहर होता है
जो अपनी अहोश में भर लेते है
तुम हसीन फूल बनी बैठी हो
दिल को मजाक समझती हो
मेरे दिल से कितने खेल
खेल बैठी हो।
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