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जताने लगते हो

#दिनांक:-20/6/2024
#शीर्षक:-जताने लगते हो।

अनदेखे किरदार के हकदार हैं हम,
जिम्मेदारियों के मजबूत दीवार हैं हम।
आँसुओं में तो रोज डुबकी लगाते हैं,
हर दर्द पीकर मुस्कुराने वाली नार हैं हम।

जीवन साथी के लिए जीवन खर्च करते हैं,
अपमानित होकर भी अकड़ कर चलते हैं,
दिमाग से हम कहाँ कभी बुद्धिमान हुए,
तभी तो हर लड़ाई का आगाज करते हैं।

तूफानों में भी खामोशी का दीपक जलाए रहती,
गम के दलील को कोर्ट कचहरी से बचाए रखती।
मेरे हिस्से की हिसाब वाली किताब सबमें बंटती,
धोखेबाज हो, जानकार भी...