...

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वो शामें कब आएगी।
जिन शामों के आने से ही,
खुशियां तन-मन पर छाएंगी।
अपने जीवन में वो शामें,
इक ना इक दिन तो आएंगी।

जब मस्त मगन हो गाएगा,
तेरे गीतों पर मन सरगम ।
रजनी होंगी महकी-महकी,
हाथों में हाथ लिए हम-तुम।

अभिलाषाएं जो मन में हैं
फिर अधरों पर मुस्काएंगी।
अपने जीवन में वो शामें,
इक ना इक दिन तो आएंगी।

अब जीवन यूं ही बीत रहा,
और प्यार भरा घट रीत रहा।
उम्मीद उम्र भर की हमने,
कोई ना मन का मीत रहा।

जो प्यार चाहता है ये दिल,
आकर हम पर बरसाएंगी।
अपने जीवन में वो शामें,
इक ना इक दिन तो आएंगी।

सपने होंगे साकार सभी,
आकार उन्हें मिल जाएगा।
दिल ने चाहा जो पावन सा,
अधिकार उसे मिल जाएगा।

फिर सब बंधन मिट जाएंगे,
रितु प्रेम सुधा बरसाएंगी।
अपने जीवन में वो शामें,
इक ना इक दिन तो आएंगी।
© 💕ss
© 💕Ss