...

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आज का गुरु
कह जाऊं सच गर मैं कभी और ज़माना बुरा भी न माने तो बात ही क्या,
बात मेरे गुरुओं की हो, और तारीफें भी न की जाए तो बात ही क्या।
बदलते समाज का आइना देख, गुरु बदल भी जाएं तो बात ही क्या ।
शिक्षा देने से पहले ही गुरु दक्षिणा ले भी ली जाए तो बात ही क्या।


जात-पात ,ऊंच-नीच का चादर ओढ़ चले गुरु ,न जाने किस शिक्षा की बात करते हैं।
कोई दूजा इनसे आगे न निकल जाए ये शायद इस बात से ही डरते हैं।

भेद-भाव का मार्ग अपना ये अपनों को आगे करते...