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मोहब्बत और गहराई से...✍️
रुसवाई उसके इश्क़ की बार बार करके क्या मिलेगा
उम्मीद है कि बंजर जमी पर नया फूल खिलेगा...
जो टूटा है अब वो वादा नही करूँगी
उसकी औकात से इश्क़ ज्यादा नही करूँगी...
इश्क़ की खाई में फिर एक बार गिरूँगी
मोहब्बत और गहराई से इस बार करूँगी...
गजल में,नज्म में,शायरी में,उसे दोहराउंगी
अबकी बार के इश्क़ को हकीकत में पाउंगी...
अबकी बार के इश्क़ को हक़ीक़त में पाउंगी...
उम्मीद है कि बंजर जमी पर नया फूल खिलेगा...
जो टूटा है अब वो वादा नही करूँगी
उसकी औकात से इश्क़ ज्यादा नही करूँगी...
इश्क़ की खाई में फिर एक बार गिरूँगी
मोहब्बत और गहराई से इस बार करूँगी...
गजल में,नज्म में,शायरी में,उसे दोहराउंगी
अबकी बार के इश्क़ को हकीकत में पाउंगी...
अबकी बार के इश्क़ को हक़ीक़त में पाउंगी...
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