चलना हीं होगा...
हम जब तक आपस में बंटते रहेंगे
वो यूं ही हमको ठगते रहेंगे
हमेशा कटता और घटता है वेतन
कब तक बनोगे ऐ साथी अकिंचन
जगना भी होगा,संभलना भी होगा
पूरे...
वो यूं ही हमको ठगते रहेंगे
हमेशा कटता और घटता है वेतन
कब तक बनोगे ऐ साथी अकिंचन
जगना भी होगा,संभलना भी होगा
पूरे...