...

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तेरी याद
इक याद तेरी आती है
और दर्द बढ़ जाता है
तुझे ये हरे ज़ख्म नहीं दिखते
यादों के दर्द के,कड़वे काढ़े हम कबतक,कैसे पिएं
और उसपे खुशियों का मरहम कैसे लगाएं!

बहुत हुआ लुका - छिपी
ख़्वाबों में तेरा यूं बेवक्त,बेपर्दा आना
छेड़ना दिल के कोमल तारों को
और प्रणय गीत नहीं गाना
बोलो तेरी यादों के इन भींगे मौसम में
इन सांसों की सरगम की सितार
बिन तेरे हम कैसे बजाएं!

अधूरे प्यार में पड़े हम
कैसे तुझे छोड़कर जीवनपथ पर आगे बढ़ जाएं
ये तो बिलकुल वैसा ही
जैसे कोई नाराज़ हो ख़ुद से और
अकेला जीना सीख जायें!

बिछड़ने से पहले का वादा है
कुछ भी हो जाए
ये धरती घूमना - फिरना भी छोड़ दे तो
मेरे मेहबूब साथ तेरा उस अनंत अंबर तक निभाऊंगा
छोडूंगा न साथ तेरा कहीं भी
जहां भी तू जाए तेरे पीछे -पीछे आ जाऊंगा!

वादों से नहीं साथ देने से
सांसों का ये सफ़र चलता है
कितना भी छुपा लूं तेरी यादों को
ये दर्द बन आंखों से निकल जाता है
इक याद तेरी आती है
और दर्द बढ़ जाता है।।


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