...

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त्याग
कच्चा ही था अपने
बीच रिश्तों का धागा
इक प्रेम की माला
जिसके मोती फिर,
मैं पिरो ना पाई,
ना संभाल पाई..
अब रही नही थी
अपने बीच
विश्वास की प्रकाष्ठा ,
क्योंकि तुम्हारे रहते मैने
किसी ओर को तांका था
और देखते हुए मुझे
तुमने उसी क्षण त्यागा था।



© nishi