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ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले रे
1955 की फिल्म उडन खटोला
के गीत ओ दूर के मुसाफ़िर
हम को भी साथ ले ले
पर आधारित आवेश
हिन्दुस्तानी की पैरोड़ी

चले आये तुम कहाँ से,
हर चीज़ बेच खाई
तुम्हें मिल गया खज़ाना,
हमें मौत दी दिखायी

ओ झूठ के मुसाफ़िर
सच को भी साथ ले ले रे
सच को भी साथ ले ले
सब हो गये झमेले

तूने वो दुख दिया अब,
बेमौत मर गये सब
जन उठ रहा जहाँ से,
चल बस रहा यहाँ से
चल बस रहा यहाँ से

किस काम की ये सत्ता
जो जन जन से खेले रे
सच को भी साथ ले ले,
सब हो गये झमेले

सूनी हैं सब की राहें,
खामोश है निगाहें
नादान हरकतों का
बज ही गया है बाजा
बज ही गया है बाजा

चारों तरफ़ लगे हैं
बरबादियों के मेले रे
सच को भी साथ ले ले
सब हो गये झमेले

ओ झूठ के मुसाफ़िर
सच को भी साथ ले ले रे
सच को भी साथ ले ले
सब हो गये झमेले