...

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ख्वाइशें...अनंत ❣️
#WritcoPoemPrompt3
मुझे सपने भी चाहिए
मुझे अपने भी चाहिए
मुझे कश्ती भी चाहिए
मुझे किनारे भी चाहिए
मुझे सर पर हाथ भी चाहिए और
हाथ थामने वाला साथ भी चाहिए
मुझे बंधनों में रहना है फिर भी
उड़ान मुझे चाहिए
मछली समझ लोग जाल फेंकते हैं
शिकारी कौन है इसकी पहचान भी चाहिए किसने कितना गम दिया है
या खुशी इसका हिसाब भी मुझे चाहिए
मेरी बेख्याली में जो मुझे चुन्नी से ढक सके वह इंसान भी मुझे चाहिए
वह साथ ही मुझे चाहिए
ऐसा हमराज भी मुझे चाहिए♥

© Dr. Rekha Bhardwaj