गमों की मदिरा खूब छनी।
प्यार, परिवार, आमदनी,
खेत, खलिहान, दुश्मनी।
बात, बतंगड़, कहासुनी,
खुशी, ख्वाहिशें गिनीचुनी।
पानी, पत्थर, आगजनी,
आंटें में अटकलें सनी।
कांटे, कंकड़, नागफनी,
चुन चुन के यह राह बनी।
मैं दुविधा का रहा धनी,
गमों की मदिरा खूब छनी।
बीच में हो गई तना तनी,
सिर से उठ गई छांव घनी।
© Prashant Dixit
खेत, खलिहान, दुश्मनी।
बात, बतंगड़, कहासुनी,
खुशी, ख्वाहिशें गिनीचुनी।
पानी, पत्थर, आगजनी,
आंटें में अटकलें सनी।
कांटे, कंकड़, नागफनी,
चुन चुन के यह राह बनी।
मैं दुविधा का रहा धनी,
गमों की मदिरा खूब छनी।
बीच में हो गई तना तनी,
सिर से उठ गई छांव घनी।
© Prashant Dixit