...

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वक़्त हमें सिखाता है औरों के लिए जीना
वक़्त हमें तोड़ता बहुत है,
कि हम टूटते हुए को बिखरने से बचा सकें,
वक़्त हमें रुलाता बहुत है,
कि हम रोते हुए का दर्द महसूस कर सकें,
वक़्त हमें चोट देता बहुत है,
कि हम दूसरे को चोट खाने से बचा सकें,
वक़्त हमें ज़ख़्म देता बहुत है,
कि हम औरों के ज़ख़्म का मलहम बन सकें,
वक़्त हमें ग़म-ओ-दर्द देता बहुत है,
कि हम औरों के चेहरे पे मुस्कुराहट की वजह बन सकें............................
#Saaz
© Saaz