मेरे सपने...
मेरे सपने आज सोये पड़े है ,आंसुओं के मज़ार में।
टूट कर अब बिखर गए है ,जीत में और हार में।।
जब तलक उम्मीद थी, देख रही थी अंधकार में।
अब उम्मीद दफ़्न हो गयी, हकीकत के इंतजार में।।
एक छोटा सा दीया जल रहा था, इतने बड़े संसार में।
जला रखा था मैंने कब से ,अपने मन के द्वार में।।
बुझा डाला हवाओं ने एक हीं...
टूट कर अब बिखर गए है ,जीत में और हार में।।
जब तलक उम्मीद थी, देख रही थी अंधकार में।
अब उम्मीद दफ़्न हो गयी, हकीकत के इंतजार में।।
एक छोटा सा दीया जल रहा था, इतने बड़े संसार में।
जला रखा था मैंने कब से ,अपने मन के द्वार में।।
बुझा डाला हवाओं ने एक हीं...