...

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अमूल्य
जिंदगी की इस पहेली में भटकते नजर आएंगे लोग ।
बस वक्त कम का बहाना है जीने के लिए
बित जायेंगे वो भी एक दिन
सामने सब कुछ होते हुए भी हम कुछ ना महसूस कर रहे हैं।
अंतिम दिन हर रोज और हर पल आता है
बस हम उसकी आहट को देख नही पा रहे है
आती है जाती है
हम तो उसे खुशी और दुखी का आने का एक बहाना बताते है
अगर इतना ही है तो मुझे कच्चे घर ही अच्छे थे
दरार भी आसानी से भर जाता है चाहे घर का हो या दिमाग का ।
अब तो अंतर तो बहुत दिखने लगे है
मेरे उस वक्त में इस वक्त में अंतर केवल बदलने तक का है ।
अब तो स्वाद , सुगंध,समय ,कीमती सब है लेकिन स्पष्ट कुछ भी नही है।
जीवन की इस पहेली में भटकते नजर आएंगे लोग।
© genuinepankaj