...

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मेरे घर को बसेरा बना लीजिए!
मुहब्बत का हो आशियाना जहाँ,
अपना डेरा वहीं पर जमा लीजिए।
प्यार सच्चा सभी को है मिलता कहाँ,
मेरे घर को बसेरा बना लीजिए।।

रोशनी कोई भी आती जाती नहीं,
फ़िर भी ख़ुशियों से रोशन है घर ये मेरा।
फूल मिलते नहीं हैं तो क्या बात है,
फूलों से भी है कोमल जिगर ये मेरा।।

© Kautilya Pandit
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