...

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हाल - ए - जिंदगी
इतना सा चलके इतना ज्यादा थक गए,
जिंदगी ने तो तुम्हें आजमाना शुरू ही किया है ,
इनके इतने से कंकड देख तुम अभी से डर गए
अरे अभी तो तुम्हें पिघलना है
और कठोर बनना है ,
और यह क्या तुम तो अभी से हार मानने लग गए ,
जिंदगी ने तो तुम्हें वह बेड़ियां नहीं दी,
और यह क्या तुम अभी से टूटने लग गए ,
सोने को भी अलंकार बनने के लिए पिघलना पड़ता है ,
तुम तो इंसानों कैसे सोच लिया कि जिंदगी आसान होगी ,
यहीं पर तो बड़ी गलती कर दी ,
इस वजह से यह कैसे सोच लिया कि इस जहां में तुम्हारी जगह नहीं है ,
और अभी तो शुरुआत ही है ,
तुम अभी से थकने में लग गए ॥

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Hi friends, it is a quick poem and please tell me the title is fit to the poem or not and please give your honest feedback regarding my new Poem thank you.
And I will definitely. going to write it's English version soon 🙂 .
© payal1417111