...

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तीसरा शक्श .....
संभल जाता हमारा रिश्ता कुछ और साल
अगर हमारे तुम्हारे बीच वो तीसरा शक्श ना आता
कर लेते हम अपनी सारी बाते साफ जो भी मन में रह गई थी
अगर हमारे तुम्हारे बीच वो तीसरा शक्श ना आता
पर नही तुम्हे सिखायते मुझसे थी पर मुझे छोड़ कर तुम्हे उससे बताना जरूरी लगा
परेशानी हमारे तुम्हारे रिश्ते की थी साथ बैठ कर सुलझा भी सकते थे
पर नही तुम्हे उसके साथ बैठ हमारी परेशानी को सुलझाना जरुरी लगा
तो कैसे सहन कर लेता यार मैं जब मैं तुम्हारे दिल में खास से आम हो रहा था
तुम्हे रहना पसंद था उसके साथ मैं राजी भी था इसपर
पर मुझे ज्यादा हक था उसका तुम्हारे वक्त पर
लोग बातें कर रहे थे शहर में हमारी मोहब्बत को लेकर
तो बताओ कैसे सहन कर लेता मैं यार जब मैं शहर में बदनाम हो रहा था
तुम्ही बताओ कैसे कर लेता मैं तुम पर यकीन जब मैं तुम्हारी ही नजरों में लोगो के लिए अनजान हो रहा था
तुम समझ नही सकते पर सब कुछ उलझ गया था हमारे बीच
तुम उस तीसरे की बात का यकीन करती थी पर मेरा नही
तुम उस पर भरोसा कर लेती थी हर बार
पर मेरा एक बार भी नही
देखते देखते उस तीसरे शक्श का तुम्हारे दिल पर राज हो गया था
वो बन चुका था जैसे पूरे का पूरा सिंगार तुम्हारा
और मैं माथे पर लगा एक छोटा सा बिंदी की तरह साज हो गया था
रिश्ता तो बहुत बाद में खत्म हुआ हमारा मेरी जान
पर उस शक्श के आने के कुछ समय बाद ही मैं बर्बाद हो गया था

#Multifaceted
© ठाकुर जी