...

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हमारी बेगम से नोक झोंक...
एक दिन की बात थी,
हमारी बेगम हमसे नाराज़ थीं।
हमने सोचा चलो आज बक बक से फुर्सत तो मिली।,
तभी कड़कती आवाज़ आई,,
सुनो!आज का खाना तुम खुद बनाओ,
बेशर्मों की माफिक बैठो मत,
राशन पानी फौरन खरीद लाओ।।
हमने गौर से देखा..,
मोहतरमा के चेहरे कुछ इस तरह बदल रहे थे,
टेंढ़े से मेढ़े ,गोरे से पीले,
फिर कुछ लाल हो रहे थे ।
छन मन छन मन इधर से उधर,
तो कभी पैरों से कदमताल हो रहे थे।।
हमनें बड़े प्यार से बोला..,
हे!रूप की मल्लिका ,,...
ये तुम क्या कर रही हो!,
बेवजह घर सर पर उठा रही हो।।
फिर क्या!
लेना ना देना,
कालिका रूप धारण कर बोली,,
तुम हो ही ऐसे,
तुम केवल मेरा मूड खराब खराब करते हो,
तुमसे होता कुछ नहीं,
बस बातों के नवाब बनते हो।।
हमने कहा हे!प्रिए....
अपना गुस्सा तुम थूंक दो,
मैं तुम्हारा हर कहना मानूंगा।
लो पानी पियो और ठंड रखो,
तूं है मेरी प्राण प्रिए,,
आज से नारी शक्ति को जानूंगा।।