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आज का समय vs चिट्ठी का समय
अभी रेडियो मे सुना चिट्ठी का समय अलग था
तब इन्टरनेट नहीं था तब बात करने का एक मात्र माध्यम चिट्ठी होती थी
डाकिये का इंतजार रहता था
क्या लिखे ये सोचना पड़ता था बहुत फिर क्या जवाब आएगा ये सोचते थे
आज तो तुरंत जवाब आ जाता
पहले चिट्ठी मे पूरी बात लिखी थी जगह नहीं बचती थी लिखकर मिटा नहीं सकते थे
एक एक शब्द फील होता था वो शख्स याद आने लगते थे
चिट्ठी पहुंचाने का माध्यम कबूतर भी होता था
खत लेकर उड़कर जाता फिर शुरू होता इंतजार
जब आता जवाब फिर अगला जवाब
इस तरह आदान प्रदान चलता रहता था
आज एक टाइप की दूरी पर है सब
पर वो चिट्ठी जैसा अब नहीं लगता
© ©मैं और मेरे अहसास