"फिर से जख्म को हरा कर दिया"
एक रोज़ वो मिला मुझको, फिर जाने क्या हुआ मुझको|
मैंने पूछा उससे तू ख़ुश तो है ना, जो चाहा तूने वो सब तो हैं ना।
उसने हँसने का दिखावा किया, पर उसकी आँखो ने सब कुछ बयाँ किया।
आँसू छिपाते हुए उसने कहा, हाँ सब कुछ है मेरे पास यहाँ।
कमी किसी चीज़ की नही है, आँखो में ये सिर्फ़ पानी है कुछ और नही है।
उसका हर लब्ज मुझे समझ आता रहा, उसमें छुपा झूट साफ़ नज़र आता रहा।
फिर भी कुछ कह ना सका मेरी मजबूरी थी, पास होकर भी हम दोनों में बहुत दूरी थी।
अब...
मैंने पूछा उससे तू ख़ुश तो है ना, जो चाहा तूने वो सब तो हैं ना।
उसने हँसने का दिखावा किया, पर उसकी आँखो ने सब कुछ बयाँ किया।
आँसू छिपाते हुए उसने कहा, हाँ सब कुछ है मेरे पास यहाँ।
कमी किसी चीज़ की नही है, आँखो में ये सिर्फ़ पानी है कुछ और नही है।
उसका हर लब्ज मुझे समझ आता रहा, उसमें छुपा झूट साफ़ नज़र आता रहा।
फिर भी कुछ कह ना सका मेरी मजबूरी थी, पास होकर भी हम दोनों में बहुत दूरी थी।
अब...