...

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इतिहास
ना महसूस कर सकते है,
ना कर पाओगे चाहे कोशिश कितनी कर लो,
देश के बटवारा में बहा वो ख़ून खराबा,
जाने कितने जले, खेत, घर,
कितने जले जींदे इन्सान कई,
कितने गायब हुए अपने कई,
मां बहन की इज्जत लूटना या गायब होना या मर जाना या अपनों से बिछड़ जाना,
या अपनों को मारते हुए यूं ही छोड़ जाना,
लाशों का यूं ही बेहाल पड़े रहना,
रेल गाड़ियों का इतना भर जाना की जागह नहीं है किसी के लिए उनमें ,
फिर भी उसने लोगो का आते जाना,
ऐसे कितने सैकड़ों रूह को जला देने वाले पल,
किसने किया ये दोष हमेशा मुस्लिम कोम पर मड़ देना,
क्यूंकि तब भी और आज भी आतंकवादी जात से मुस्लिम ही है या तब के वक्त में शुरू किसी मुस्लिम ने किया या हिन्दू ने किया ? ये कौन जानता है?
इसका मतलब ये नहीं हम जिमेदर इन्हे बना दे सबका,
किसी एक की ग़लती के लिए पूरी कौम को ज़िमेदार बना देना? क्या समझदारी है ?
कुछ लोगो की गलती के लिए पूरी कौम क्यूं भुक्ते,
कोई नहीं चाहता ये खून खराबा चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम,
जब अपने मरते है ,खोकर सबने देखा, इस दर्द की टीस अलग है कौन समझे इसको?
बड़ी बड़ी बातें सब कर लेते है आज कल इतिहास को लेकर तब का क्या मंज़र था कौन जानता है?
क्यू हुआ बटवारा ? क्यू हुए ऐसे हालात पैदा की किया जाए बंटवारा ?
क्यू कश्मीरी पंडितों को उनके है घर से बाहर निकाला गया?
ऐसे बहुत से सवाल इतिहास में आज भी दफन है,
जो जब उठे थे तब भी सरकार ही एक मात्र जवाब दे सकती थी फिर चाहे सख्ती से चाहे नरमी से,
चाहे बंदूक से चाहे प्यार से,
क्यू मै यह सरकार को दोष दे रही हूं ?
क्यूकि सरकार ही है जो देश को बनती है या बिगाड़ती है,
जैसे राजा अपने राज्य को बनाता ओर बिगाड़ता है ठीक उसी प्रकार से ।
ना आज सरकार जवाब देंने में सक्षम है ना पहले थी ।
© vyanjana

किसी को जिममेदार ठहरा देना बहुत आसान है ,
बड़ी बड़ी बातें करना भी बहुत आसान है,
आज का माहौल भी देखो,
नफ़रत से शायद तुम्हे लगता होगा जीत लोगे सारा जहां,
ज़रा इंसानियत से इस जहां में शांति और अहिंसा का प्यार बरसा कर तो देखो । ✌️🌸❤️