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कैसा गणतंत्र
संविधान का मानक बन
गणतंत्र इस साल भी बीत गया।।
देश की ताकत से रूबरू
हम सब को कराया गया।।
तालियाँ भी खूब बजी
शौर्य का भी दर्शन हुआ
झाँकी के सह से आधुनिक
भारत की तस्वीर भी दिखाया गया।।
हर झाँकी में कुछ खास बात थी
प्रान्तों की छुपी अपनी जज्बात थी।।
फिर कुछ ऐसा हुआ जो सोचा नही,
आस थी इस बार तो कुछ होगा सही।।
फिर से एक बार
सत्यमेव ज्यते का हरण हुआ,
विभागो में घोटालों का विलोपन हुआ,
स्वच्छ भारत पर पर्दा फिर से डाला गया
डूबता बिहार को क्यों
नही दिखाया गया।।
थोड़ा तो विचार तुम करते
जो व्याप्त है देश में उसको नजरअंदाज क्यों हो करते ????
कुछ ऐसी भी बाते
उजागर होनी चाहिए,
पर्दा डालकर,
ईमानदारी का ढोल
नही बजानी चाहिए।।
बेशक नारियों के जज़्बा का
गुणगान होना चाहिए
पर नारी सुरक्षा को ले कर कुछ
ठोस कदम भी तो उठाने चाहिए।।
तिस कोटी अर्धक्षुदित,असभ्य
मूढ़ की बात कहाँ गयी,
कही ये इंडिया की डिजिटल में
तो दबी नही रह गई।।
किसानो की समस्या पर क्यों
नही विचार हो करते।।
कुछ ऐसा इंतजाम करो कि
दो जून की रोटी उन्हें भी नसीब हो
परोपकार से कोई न गरीब हो।।
मत भूलो भारत माता
ग्रामवासिनी है,इसे बड़ी
विडम्बना क्या होगी
ये अजल संतान तरुतल निवासनी है।