8 views
ऐसा लगता है..
बेरहम सा अब तो मुझे मेरे खुदा का भी दर लगता है..,
क्या बताऊँ जो मै वहाँ मेरा खुदा भी बे-घर लगता है ।।
रुस्वाई भी साँसों की जिस्म से ऐसी गुजरी है रूह से..,
मुझे तो ये मेरा दिल भी मेरे रक़ीब का घर लगता है ।।
बिखरा-बिखरा सा है आज कुछ मेरे अक्स का आईना..,
मुझ को तो इसका भी टूटा दिल यूँ इस कदर लगता है ।।
ये किस्मत की महरुमी है यही बस इतनी सी अब मेरी..,
कि बर्बादी मे मुझको तो मेरे अपनों का असर लगता है ।।
साँसें गिरवी हैं यहाँ सबकी चार दिन की जिन्दगानी के लिए..,
कि साँए मे भी जिन्दगानी का चंद रोज अब बसर लगता है ।।
'अल्फाज' तू ग़म से इतना हैरान क्यूँ हो जाता है हर बार यहाँ..,
मुमकिन है तुझे भी अब तेरे दर्द के साथ जीने से डर लगता है ।।
©AK_Alfaaz.
#WritcoQuote #writcoapp #writco
क्या बताऊँ जो मै वहाँ मेरा खुदा भी बे-घर लगता है ।।
रुस्वाई भी साँसों की जिस्म से ऐसी गुजरी है रूह से..,
मुझे तो ये मेरा दिल भी मेरे रक़ीब का घर लगता है ।।
बिखरा-बिखरा सा है आज कुछ मेरे अक्स का आईना..,
मुझ को तो इसका भी टूटा दिल यूँ इस कदर लगता है ।।
ये किस्मत की महरुमी है यही बस इतनी सी अब मेरी..,
कि बर्बादी मे मुझको तो मेरे अपनों का असर लगता है ।।
साँसें गिरवी हैं यहाँ सबकी चार दिन की जिन्दगानी के लिए..,
कि साँए मे भी जिन्दगानी का चंद रोज अब बसर लगता है ।।
'अल्फाज' तू ग़म से इतना हैरान क्यूँ हो जाता है हर बार यहाँ..,
मुमकिन है तुझे भी अब तेरे दर्द के साथ जीने से डर लगता है ।।
©AK_Alfaaz.
#WritcoQuote #writcoapp #writco
Related Stories
25 Likes
2
Comments
25 Likes
2
Comments