ऐसा लगता है..
बेरहम सा अब तो मुझे मेरे खुदा का भी दर लगता है..,
क्या बताऊँ जो मै वहाँ मेरा खुदा भी बे-घर लगता है ।।
रुस्वाई भी साँसों की जिस्म से ऐसी गुजरी है रूह से..,
मुझे तो ये मेरा दिल भी मेरे रक़ीब का घर लगता है ।।
बिखरा-बिखरा सा है आज कुछ मेरे अक्स का आईना..,
मुझ को तो...
क्या बताऊँ जो मै वहाँ मेरा खुदा भी बे-घर लगता है ।।
रुस्वाई भी साँसों की जिस्म से ऐसी गुजरी है रूह से..,
मुझे तो ये मेरा दिल भी मेरे रक़ीब का घर लगता है ।।
बिखरा-बिखरा सा है आज कुछ मेरे अक्स का आईना..,
मुझ को तो...