"चिट्ठियों का कत्ल"
ये मृत्यु नही है
मोबाइल फोन ने चिट्ठियों का गला घोटा है। अकेलेपन से उपेक्षित हो कर सिसकती सिसकती जी रही थी, नए दौर की आड़ में इनका कत्ल कर दिया गया।
जो कभी लोगो के हृदय का अविभाजित हिस्सा थी
कब अतीत के पन्नो का हिस्सा हो गई उन्हे स्वयं ही पता नहीं चला।
कितने खोखले थे वो लोग जो तकिए के नीचे छुपा के रखते थे खत कभी, अभी अभी नए मनमीत मोबाइल फोन को पाकर ऐसे भूले की, शुक्रिया भी नही कह सके उन खतों को जिनसे उनको उनके प्रियतम की खबर मिला करती थी, जो उनके दुख सुख का संदेशा लेकर आती थी, जो बाते करती थी उनसे, जो साथ रहती थी उनके, अचानक ऐसा क्या घटित हुआ की सब बदल गया।
"जाने कितने ख्वाब समेटे रहती थी...
मोबाइल फोन ने चिट्ठियों का गला घोटा है। अकेलेपन से उपेक्षित हो कर सिसकती सिसकती जी रही थी, नए दौर की आड़ में इनका कत्ल कर दिया गया।
जो कभी लोगो के हृदय का अविभाजित हिस्सा थी
कब अतीत के पन्नो का हिस्सा हो गई उन्हे स्वयं ही पता नहीं चला।
कितने खोखले थे वो लोग जो तकिए के नीचे छुपा के रखते थे खत कभी, अभी अभी नए मनमीत मोबाइल फोन को पाकर ऐसे भूले की, शुक्रिया भी नही कह सके उन खतों को जिनसे उनको उनके प्रियतम की खबर मिला करती थी, जो उनके दुख सुख का संदेशा लेकर आती थी, जो बाते करती थी उनसे, जो साथ रहती थी उनके, अचानक ऐसा क्या घटित हुआ की सब बदल गया।
"जाने कितने ख्वाब समेटे रहती थी...