...

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इश्क़ का पैगाम
दिल के हर पन्ने पर
इश्क़ की श्याही से
ये पैगाम लिख दिया,
सात जनम क्या हर जनम
तेरे नाम लिख दिया।

मैं आँखे बन्द करता हूँ
तो तेरा दीदार होता है,
जो आँखे खोलूँ
तो तुझे देखने का जुनून
बेशुमार होता है।
चमक उठी ये अँखियाँ
जब तुझसे जुड़ी एक चीज़
आज नजर आई
मेरे जीवन के खुले आकाश में
आज बदरी सी जो छाई
फिर बरसी तेरी यादों कि
वो रिमझिम रिमझिम बूँदे,
करोड़ों की भीड़ में भी ये नयन
तुझी को ढूंढें ।
तुझे लिखने की चाहत में
मैंने खुदको
इस कलम का गुलाम लिख दिया,
दिल के हर पन्ने पर
इश्क की स्याही से
मैंने ये पैगाम लिख दिया||
मैंने ये
पैगाम लिख दिया||||
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