...

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गाँव क़ी नई पीड़ी
गाँव क़ी नई पीड़ी क़ो क़ो शहरी हवा
रास आ गई हैं और करीब करीब सब शहरों क़ी ओर पालायन कर चुके हैं
अब त्तो गांव क़ी आबादी के नाम पर
कुछ बूड़े यहां रह गए हैं

मेरी बिरादरी के काफी लोग धीरे धीरे फना होते गए
अब तो मेरे आँगन में भी उनकी खुरदरी यादो के अलावा कुछ भी नहीं हैं