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वो अभी तो...
वो अभी तो संग में थे मेरे
पल भर में कैसे राख हुए,
मेरे पिता के संग ही मेरे थे
जो सपने वो सब खाक हुए।
वो अभी तो...
जिनके कांधे पर घूमा मैं
उनको कांधे पर छोड़ दिया,
मेरे जीवन का ये स्वर्णकलश
दुर्भाग्य ने मेरे फोड़ दिया।
उनके संग मेरे भाग्य के सारे ग्रह भी शायद आग हुए।
वो अभी तो...
हाँ डरता था मैं उनसे पर
वो डर हर एक सफलता था,
मेरी सब इच्छाओं का कल
जिनकी आँखों में पलता था।
उन बिन पल ऐसे बीते जैसे एक पल में पल लाख हुए।
वो अभी तो...
© AK. Sharma
पल भर में कैसे राख हुए,
मेरे पिता के संग ही मेरे थे
जो सपने वो सब खाक हुए।
वो अभी तो...
जिनके कांधे पर घूमा मैं
उनको कांधे पर छोड़ दिया,
मेरे जीवन का ये स्वर्णकलश
दुर्भाग्य ने मेरे फोड़ दिया।
उनके संग मेरे भाग्य के सारे ग्रह भी शायद आग हुए।
वो अभी तो...
हाँ डरता था मैं उनसे पर
वो डर हर एक सफलता था,
मेरी सब इच्छाओं का कल
जिनकी आँखों में पलता था।
उन बिन पल ऐसे बीते जैसे एक पल में पल लाख हुए।
वो अभी तो...
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