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अपनी खोज !!!
साल तो गुज़रा पर शायद थोड़े हम भी खर्च हुए
कुछ ठोकरे जिनसे अंजान थे अब खुद ही मर्ज़ हुए
वो कहते है ना एक छोटी लौ अँधेरे को मिटा देती है
एक वो हमारी मुस्कान और गायब सौ दर्द हुए ।।
अजीब नही, कुछ तो ज्यादा ख़ास था इस साल में
अपनेपन की परिभाषा बता दी इस आफत काल ने
चाहिए तो बहुत कुछ था इस बेजान दुनिया से
पर जितना है उतने की कद्र बतायी इस हाल ने ।।
एक जो अनोखा रिश्ता खुद से जो होता है
किसी और की तलाश में जो ये अमानुष खोता है
शायद कहीं उसी को ढूँढना सीखा रहा था वो की
खुद से जो बिछड़ा जो होता है वही अकेले रोता है ।।
हाँ शायद बाहरी दिखावे की दुनिया से दूर हो गए
पर वो बेफिजूल की ऊम्मीदें, वो भी चकनाचूर हो गए
खुद में ढूंढने निकले थे कोई एक ख़ास हुनर जो हम
इतने निकले मन के खदानों से की हम भरपूर हो गए ।।
कहते है न तू खुद की खोज में निकल किसलिए परेशां है
सोलह आने सच बात है, तभी हर मुश्किल आसान है
वरना जो खुद का सगा नही वो तुम्हारा क्या होगा
तु औरो की क्या सुनेगा जब तु खुद से हैरान है ।।
तो क्यों न बैठे अपनी धड़कन सुने दुनिया से दूर
थोड़ा सा खुद में खो जाने में क्या है कसूर
हाँ, मतलबी तो कहेगा ये जहां सरेआम तुम्हे
हम खुशियां समेटे हुए और ये संसार अपने दस्तूर ।।
© Aadi...
#mythoughts